इटावा महिलाओं ने भादों कृष्ण पक्ष की षष्ठी (हरछठ) पर विधिपूर्वक व्रत रखा। इसका उद्देश्य संतान—विशेषकर पुत्र—की लंबी आयु, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना है।
-
पूजा और व्रत की विधि:
-
पूजा की सामग्री में शामिल था: गोबर से निर्मित हल (छठी माता का), जिसे हल्दी, सिंदूर, काजल से सजाया गया।
-
व्रत के दौरान महिलाओं ने महुआ के दातून से पूजा स्थल की सफाई की।
-
सात प्रकार के अनाज और दही में भीगे चावल को ढाक के पत्ते पर भोग स्वरूप चढ़ाया गया।
-
- खेती की मिट्टी से जुड़ी चीजें और जोती हुई (हल से जोते गए) अन्न/सब्ज़ियाँ वर्जित रखी गईं।
-
महिलाएँ पानी में उगे सिंघाड़े और फीका दूध ग्रहण करती हैं—यह पारंपरिक रूप से माना जाता है कि इससे व्रत की पवित्रता बनी रहती है।
यह व्रत क्षेत्र में गहरी आस्था और सांस्कृतिक विश्वासों का प्रतीक है—जहाँ महिलाएँ संतान सुरक्षा और कल्याण के प्रति अपने जीवन में श्रद्धा पूर्वक जुड़ी दिखती हैं।
रिपोर्ट चंचल दुबे इटावा