आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को दिया जा रहा दिव्यांग बच्चों की पहचान हेतु प्रशिक्षण
जिला समन्वयक अर्चना सिन्हा ने बताया – “0-6 वर्ष के बच्चों की प्रारंभिक स्क्रीनिंग बेहद आवश्यक”
इटावा, जुलाई 2025।
मुख्य विकास अधिकारी श्री अजय कुमार गौतम की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया कि जनपद इटावा में आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों के माध्यम से 0 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों में विकासात्मक देरी और शारीरिक बाधाओं की पहचान की जाएगी। यह कार्य आंगनवाड़ी केन्द्रों में पंजीकृत बच्चों एवं डोर-टू-डोर हाउसहोल्ड सर्वेक्षण के माध्यम से किया जाएगा।
बैठक का आयोजन विकास खण्ड (B.D.O.) सभागार कक्ष में किया गया, जहां जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. राजेश कुमार और जिला कार्यक्रम अधिकारी के निर्देशन में जिला समन्वयक समेकित शिक्षा श्रीमती अर्चना सिन्हा तथा स्पेशल एजूकेटर्स द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
प्रशिक्षण का उद्देश्य:
श्रीमती अर्चना सिन्हा ने बताया कि प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य 5 वर्ष तक के बच्चों में शारीरिक एवं मानसिक बाधाओं की प्रारंभिक पहचान करना है, जिससे समय रहते उन्हें चिकित्सकीय सहायता एवं अन्य सपोर्ट सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें और शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बच्चे के जीवन के पहले 1000 दिन — अर्थात 9 माह गर्भावस्था और जन्म के बाद के 2 वर्ष — उसके शारीरिक, मानसिक व सामाजिक विकास के लिए ‘गोल्डन पीरियड’ होते हैं। इस समय की गई सही पहचान, बच्चे के सम्पूर्ण जीवन की दिशा तय कर सकती है।
विकासखंड स्तर पर क्रियान्वयन:
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सैफई विकास खंड में खण्ड शिक्षा अधिकारी श्री नवाब वर्मा ने कार्यकत्रियों को दिव्यांगता के 21 प्रकारों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
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स्पेशल एजूकेटर श्री अनिल कुमार ने आंगनवाड़ी केंद्रों में पंजीकृत बच्चों की अधिक से अधिक स्क्रीनिंग करने पर बल दिया, ताकि उनकी जानकारी संबंधित विद्यालयों तक पहुंचाई जा सके और मेडिकल रिफरल सुनिश्चित किया जा सके।
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बच्चों की स्क्रीनिंग के उपरांत ANM से संपर्क कर उपचार की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी।
फीडबैक एवं सहभागिता:
प्रशिक्षण के अंत में स्पेशल एजूकेटर्स अवधेश सिंह, साधना, अवधेश कुमार व सत्यनारायण प्रसाद ने कार्यकत्रियों से फीडबैक लिया। कार्यकत्रियों ने बताया कि उनके क्षेत्र में इस प्रकार के कई बच्चे हैं, जिन्हें यदि समय पर सहायता मिले तो उनमें उल्लेखनीय सुधार संभव है।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में विकास खंड जसवंतनगर से श्री सत्यनारायण व अनिल कुमार, बढ़पुरा से अवधेश कुमार, साधना, सुनील कुमार, रामकुमार यादव, सैफई से अवधेश सिंह, सच्चिदानंद पांडेय, तथा बसरेहर से अवधेश कुमार व राजेश कुमार का विशेष सहयोग रहा।
रिपोर्ट चंचल दुबे इटावा