इटावा जिले के नए जिलाधिकारी: शुभ्रांत शुक्ला से जनता को जागी नई उम्मीदें
हाल ही में शुभ्रांत शुक्ला ने इटावा के नए जिलाधिकारी के रूप में कार्यभार संभाला है। इससे पहले वे कन्नौज ज़िले में बतौर जिलाधिकारी कार्यरत थे। अपने कार्यकुशलता, अनुशासन और सख्त प्रशासकीय निर्णयों के लिए पहचाने जाने वाले शुभ्रांत शुक्ला का नाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क़रीबी और भरोसेमंद अधिकारियों में शुमार किया जाता है।उनकी गिनती उत्तर प्रदेश के तेजतर्रार और ईमानदार अधिकारियों में होती है, जो ऑन द स्पॉट निर्णय लेने के लिए जाने जाते हैं।
राज्य प्रशासनिक सेवा से लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) तक का सफर तय करने वाले शुक्ला, अक्सर जमीनी हकीकत से जुड़े मुद्दों पर तेज़ निर्णय लेने के लिए जाने जाते हैं। इटावा में उनका आगमन ऐसे समय हुआ है जब ज़िले की जनता वर्षों से अधूरे कार्यों और कार्यालयों में लंबित फाइलों से त्रस्त है।
शुक्ला के चार्ज संभालते ही लोगों की उम्मीदें जाग उठी हैं कि लंबे समय से लटकी योजनाओं को गति मिलेगी, और कार्यालयों में जड़ें जमा चुके ‘फेवीक्विक वाले बाबुओं’—जो वर्षों से एक ही कुर्सी पर टिके हैं—का अंत होगा।
जनता के बीच यह सवाल आम हो चला है कि “जिलाधिकारी तो बदलते हैं, लेकिन बाबू नहीं बदलते।”इस पर प्रतिक्रिया देते हुए डीएम शुभ्रांत शुक्ला ने पत्रकारों को आते ही आश्वस्त किया था कि ऐसे कर्मचारी जो वर्षों से एक ही पद पर जमे हुए हैं और भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, उनके विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। पूर्व में भी वे ऐसे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई कर चुके हैं और इटावा में भी पारदर्शिता और जवाबदेही की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि शुभ्रांत शुक्ला की कार्यशैली इटावा के प्रशासनिक तंत्र में क्या नया बदलाव लाती है और क्या वर्षों से रुकी विकास की गाड़ी एक बार फिर पटरी पर लौटेगी।
प्रशासनिक पृष्ठभूमि और अनुभव
जन्म और शिक्षा: शुभ्रांत कुमार शुक्ला का जन्म 1 जनवरी 1970 को उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में हुआ था। उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद सिविल सेवा की तैयारी शुरू की और 1997 में पीसीएस अधिकारी बने।
आईएएस में प्रोन्नति: 2019 में उन्हें आईएएस के रूप में प्रोन्नत किया गया। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विशेष सचिव के रूप में भी कार्य किया।
पूर्व जिलाधिकारी अनुभव:
चित्रकूट: यहां उन्होंने बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और परिक्रमा मार्ग जैसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं को समय पर पूरा कराने में अहम भूमिका निभाई।कन्नौज: यहां उन्होंने 35 जले हुए गांवों के भू-अभिलेख बनवाने का कार्य शुरू कराया और ई-ऑफिस प्रणाली लागू की।
रिपोर्ट चंचल दुबे इटावा