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वृन्दावन धाम श्री राधा बल्लभ पर श्रद्वाभाव के साथ हर्षोल्लास से मना अन्नकूट उत्सव


वृन्दावन धाम श्री राधा बल्लभ पर श्रद्वाभाव के साथ हर्षोल्लास से मना अन्नकूट उत्सव

ठाकुर जी का हुआ आकर्षक श्रंगार,गिर्राजधरण को लगाया गया छप्पन भोग

फोटो गोवर्धन महाराज की पूजा अर्चना करते गोपाल प्रकाश चन्द्र गोस्वामी

इटावा। छैराहा स्थित श्री धाम वृन्दावन राधाबल्लभ मंदिर पर
गोवर्धन पूजा (अन्नकूट उत्सव) मंगलवार को श्रद्धाभाव के साथ परम्परागत ढंग से मनाया गया। इस अवसर पर गोबर से बनाए गए गोवर्धन महाराज के विग्रह की विशेष पूजा अर्चना की गई और छप्पन भोग भी लगाया गया। अन्नकूट के मौके पर श्री राधाबल्लभ लाल महाराज का मनमोहक श्रंगार भी किया गया। मंदिर में भजन कीर्तन की धूम रही। मंदिर को फूलों व बिजली की रंग बिरंगी लाइटों से सजाया गया था। भक्तों द्वारा भगवान गोवर्धन की परिक्रमा कर घर परिवार में सुख समृद्धि की कामना की गई।


गिर्राजधरण प्रभु तुम्हरी शरण के जयघोष से मंदिर व आसपास का क्षेत्र गुंजायमान रहा।अन्नकूट के त्योहार पर ठाकुर जी के चरण सेबक गोपाल प्रकाश चंद्र गोस्वामी ने सुबह राधाबल्लभ लाल महाराज, राधारानी, श्री लालजू का विशेष पूजन अर्चन कर आकर्षक श्रंगार किया। इसके बाद मंदिर परिसर में गोबर से भगवान गोवर्धन का भव्य विग्रह बनाया गया और विग्रह का विभिन्न प्रकार की सब्जियों, फल, फूल, मेवा आदि से श्रंगार किया गया। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ गोवर्धन महाराज का पूजन अर्चन निर्मला गोस्वामी, गोपाल प्रकाश चंद्र गोस्वामी, अंश व बंश गोस्वामी ने किया और भगवान गोवर्धन महाराज को विभिन्न प्रकार के भोग व दूध अर्पित किया। भक्तों ने भी बारी बारी से पूजन अर्चन किया । मंदिर में भजन कीर्तनों की धूम रही। हित आशीष व प्रदीप द्वारा गाये गये गिर्राज भगवान के भजनों पर श्रद्वालु झूमते रहे। भक्तों को अन्नकूट का प्रसाद वितरित किया।
मंदिर के चरण सेबक गोपाल प्रकाश चंद्र गोस्वामी ने श्रद्धालुओं को गोवर्धन पूजा का महत्व बताते हुए कहा कि इस कलयुग में भगवान गिरिराज धरण व गौ पूजा विशेष फलदायी है। गिरिराज भगवान की परिक्रमा करने से भक्तों के सभी मनोरथ पूरे होते हैं। इसलिए सभी लोगों को कम से कम एक बार गिरिराजधरण की परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए। उन्होंने बताया द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र देव के घमंड को तोड़कर उनके प्रकोप से समस्त गोकुलवासियों की रक्षा की थी। हालांकि इसके बाद इंद्र को अपने किए पर पश्चात भी हुआ और उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से इसके लिए माफी भी मांगी थी। तब से हर साल कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की जाती है। यह प्रकृति प्रेम और उसके संरक्षण का प्रतीक। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।

रिपोर्ट चंचल दुबे इटावा

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