यूपीयूएमएस में हुई सफल जटिल ओपन हार्ट सर्जरी के बाद लौटी कविता की मुस्कान
जटिल ओपन हार्ट सर्जरी के लिए अब मरीजों को महानगरों में जाने की आवश्यकता नहीं यूपीयूएमएस में ही मिलेगा बेहतर इलाज-कुलपति
सैफई (इटावा), 14 अगस्त 2025 उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई के कार्डियोवैस्कुलर एवं थोरेसिक सर्जरी सुपर स्पेशलिटी विभाग ने, एनेस्थीसिया एवं ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन टीम के सहयोग से, पिछले सप्ताह एक जटिल ओपन हार्ट सर्जरी हुई व माननीय कुलपति ने वार्ड में जाकर कविता का हाल-चाल भी जाना।
इस ऑपरेशन में हॉर्ट लंग बाईपास मशीन की मदद से 29 वर्षीय कविता यादव (निवासी–मैनपुरी) के खराब माइट्रल वाल्व को निकालकर कृत्रिम माइट्रल वाल्व का प्रत्यारोपण किया गया। कविता ने बताया मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी मैंने लखनऊ, कानपुर,आगरा जाकर निजी चिकित्सालय में दिखाया जहां मेरे इलाज का खर्चा 4-5 लाख रुपये था लेकिन मेरी आर्थिक स्थिति सही नहीं थी फिर मैंने सैफई आकर दिखाया तब मुझे पता चला असाध्य रोग योजना के तहत मेरा इलाज निशुल्क हो सकता है तब मैंने राहत की सांस ली और आज मेरा ऑपरेशन हो गया है मैं पूर्णता स्वस्थ महसूस कर रही हूं। कविता ने कहा कि आज कुलपति जी मेरा हाल-चाल लिया मुझे अच्छा लगा मैंने उनसे वादा किया कि मैं अपने जैसे आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को जरूर बताऊंगी कि इस संस्थान में बेहतर इलाज डॉक्टर एवं स्टाफ का बेहतर सहयोग के साथ निशुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध है वह भी इसका लाभ जरूर लें।
माननीय कुलपति प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय में कोरोनरी आर्टरी बाईपास, ओपन हार्ट, ओपन एवं वीडियो-असिस्टेड थोरेसिक सर्जरी, एंडोवीनस लेजर सर्जरी, पेरीफेरल आर्टिरियल बाईपास तथा एंडोवैस्कुलर हाइब्रिड सर्जरी जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। इससे क्षेत्र के मरीजों को अब महानगरों में जाने की आवश्यकता नहीं हमारे संस्थान में सारी सुविधा उपलब्ध है।
सी.वी.टी.एस.विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ हार्ट सर्जन डॉ. अमित सिंह ने बताया कि मरीज पिछले 10 वर्षों से सांस फूलने और सीने में दर्द की समस्या से पीड़ित थीं। 2017 में विश्वविद्यालय में ही बीटिंग हार्ट माइट्रल कमिश्योरोटोमी सर्जरी से उनका प्राकृतिक माइट्रल वाल्व ठीक किया गया था, जो आठ वर्षों तक सामान्य रूप से कार्य करता रहा। हाल ही में फॉलोअप जांच में पता चला कि प्रगतिशील रूमेटिक हृदय रोग के कारण वाल्व दोबारा क्षतिग्रस्त हो गया और लीक करने लगा, जिससे सांस लेने में कठिनाई होने लगी।
उन्होंने बताया कि इस प्रकार की सर्जरी तकनीकी रूप से अत्यंत चुनौतीपूर्ण होती है, क्योंकि पूर्व ऑपरेशन और रूमेटिक एक्टिविटी के चलते पेरिकार्डियम हृदय से चिपक जाता है। इसे सावधानीपूर्वक अलग करने के बाद ही कार्डियोपल्मोनरी बाईपास संभव हो पाता है। लगभग 8 घंटे चले इस ऑपरेशन के बाद मरीज को दो दिन वेंटिलेटर पर रखा गया और वाइटल पैरामीटर्स स्थिर होने पर हटाया गया। तीसरे दिन से ही मरीज को चलना-फिरना शुरू करा दिया गया।
इस सफलता पर कुलसचिव अभिनव रंजन, प्रति कुलपति डॉ. रमाकांत, संकायाध्यक्ष डॉ. आदेश कुमार, कुलसचिव एवं मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. एस. पी. सिंह ने कार्डियक सर्जरी, एनेस्थीसिया और ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन टीम को बधाई दी और मरीज के स्वस्थ होकर घर लौटने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
रिपोर्ट चंचल दुबे इटावा