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जीवन का चौथापन आते ही पारिवारिक दायित्वों से मुक्ति ले हरि भजन में लगें :आचार्य शांतनु महाराज


इटावा।सेवा भारती के सेवा कार्यों के सहायतार्थ प्रदर्शनी पंडाल में हो रही रघुकुल नन्दन श्री राम कथा के पंचम दिवस की कथा में प्रवचन करते हुए आचार्य शांतनु जी महाराज ने कहा कि जीवन का चौथापन आते ही पारिवारिक दायित्वों से मुक्ति लेकर व्यक्ति को हरि भजन में लग जाना चाहिए। शनिवार को हुई कथा में विधान परिषद के सभापति कुं.मानवेंद्र सिंह ने व्यासपीठ से आशीर्वाद लिया।प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए आचार्य श्री ने कहा कि अपने चारों पुत्रों का विवाह करके महाराज दशरथजी एक माह के बाद जनकपुर से लौटकर अयोध्या आए तो अवध में रिद्धि सिद्धि समृद्धि की बाढ़ आ गई।उसके एक माह के बाद जब राज्यसभा बैठी तो महाराज दशरथ ने भरी सभा में शीशे में अपना मुंह देखा। शीशा देखने के तात्पर्य को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि ये दर्पण व्यक्ति का गुरु भी है और दुश्मन भी है,इसलिए शीशा जरूर देखना चाहिए। स्वयं के देखने से गुरु का काम करता है और यदि दूसरा दिखाएं तो दुश्मन का काम करता है। शीशा देखने का अर्थ आत्मावलोकन, आत्मचिंतन आत्म दर्शन, आत्म संवाद से है।जब महाराज दशरथ को अपने कान के पास सफेद बाल दिखाई पड़े तो उन्होंने राज्य राम को सौंपने का मन बनाया। ऐसे ही संकेत मिलता है, जब व्यक्ति का चौथापन आ जाए तो उसे धीरे-धीरे जिम्मेदारियों से हटकर भजन में मन लगाना चाहिए।

महाराजश्री ने आगे कहा कि राज्याभिषेक की तैयारियां हो रही थी लेकिन देवता विघ्न की रचना कर रहे थे। उनकी प्रेरणा से सरस्वती जी ने मंथरा की बुद्धि बिगाड़ी और मंथरा ने हर्षोल्लास का सत्यानाश कर दिया। मंथरा कौन है ? मंथरा कुसंग है और साथ ही दहेज का सामान भी।इन दोनों से ही बचना ही चाहिए। कुसंग का फल बहुत भयानक होता है।कुसंग को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए। कैकेई ने मंथरा रूपी कुसंग किया और अनिष्ट अपयश लिया।वरदान के प्रसंग को सुनाते हुए महाराज श्री ने कहा कि कैकेई ने राम के वनवास का वरदान मांगा, इस बात को महाराज दशरथ बर्दाश्त नहीं कर पाए। उन्होंने उसे बहुत उलाहना भी दी और विनती भी की है लेकिन कैकेई ने एक नहीं सुनी।इसी कारण से कुसंग से बचना ही चाहिए।जबकि दूसरी ओर कौशल्या जैसी आदर्श मां भी है,जिसने अपने बेटे को वन जाने से नहीं रोका। भारत देश की माताओं की छाती में ही वह शक्ति है, क्षमता,पराक्रम,सहनशीलता है,जो इस देश की धर्म संस्कृति परंपराओं को जीवित रखे हुए है। कौशल्या पारिवारिक एकता का प्रतीक है।उधर छोटे भाई लक्ष्मण जी भी बड़े भाई की सेवा के लिए राम के साथ हो लिए। रघुवंश का भ्रातृ प्रेम पूरी सृष्टि में अनूठा और अद्वितीय है।

कथा के मुख्य यजमान मोहित दुबे एवं श्रीमती रूबी दुबे (ब्लॉक प्रमुख) ने व्यास पीठ की आरती की।इस अवसर पर सह यजमान पूर्व सांसद रघुराज शाक्य,सीमा शाक्य (सदस्य उ.प्र.शिक्षा आयोग),विमल गुप्ता,निशा गुप्ता के अलावा उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य कुलदीप जी,शिववीर सिंह प्रदेश उपाध्यक्ष भाजयुमो, संघ के विभाग प्रचारक यशवीर, अमित तिवारी मानू,दिबियापुर के चेयरमैन राघव मिश्रा, कार्यक्रम संयोजक डा. रमाकांत शर्मा,सह संयोजक विमल भदौरिया साथ रहे।

रिपोर्ट चंचल दुबे इटावा

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