इटावा में बिना अनुमति काटा गया पीपल का पेड़, ठेकेदार ने बेची लकड़ी – न रेलवे की नीलामी, न नगर पालिका की अनुमति
इटावा (माल गोदाम)।
शहर में पर्यावरण और धार्मिक आस्थाओं से जुड़े पीपल के पेड़ की अवैध कटाई और उसकी लकड़ी की अवैध बिक्री का मामला सामने आया है। घटना इटावा के माल गोदाम क्षेत्र की है, जहाँ एक प्राइवेट ठेकेदार ने न तो नगर पालिका की अनुमति ली और न ही रेलवे प्रशासन द्वारा किसी नीलामी की प्रक्रिया अपनाई गई। इसके बावजूद, ठेकेदार ने पीपल की लकड़ी कटवाकर उसे बेच दिया।
सूत्रों के अनुसार, कुछ दिन पूर्व एक तेज़ आँधी के चलते पीपल का एक विशाल पेड़ एक मकान पर गिर गया था। तब न रेलवे प्रशासन ने कोई कार्रवाई की, न पेड़ को हटाया गया। कई दिनों तक पेड़ मकान पर ही पड़ा रहा। लेकिन जब लकड़ी बेचने की संभावना दिखाई दी, तो ठेकेदार ने निजी लाभ के लिए मिस्त्री भेजकर पेड़ को कटवाया और लकड़ी को बेच दिया।
जब इस मामले में नगर पालिका से जानकारी ली गई, तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि “हमारे द्वारा कोई अनुमति नहीं दी गई, न ही किसी प्रकार की नीलामी या अधिकृत कार्यवाही की गई है।”
रेलवे प्रशासन के ठेकेदार द्वारा बिना किसी वैध प्रक्रिया के लकड़ी बेचना, सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग और निजी लाभ कमाने का माध्यम बन गया है। जब ठेकेदार से फोन पर बात की गई तो उसने भी स्वीकार किया कि “पीपल की लकड़ी की कोई नीलामी नहीं हुई है।”
🌿 धार्मिक और पर्यावरणीय अपराध
धार्मिक दृष्टि से, पीपल का पेड़ पवित्र माना जाता है, और इसकी कटाई को पाप के रूप में देखा जाता है। पर्यावरण की दृष्टि से, पीपल का पेड़ 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ने वाला वृक्ष होता है, जो वातावरण को शुद्ध करने में अहम भूमिका निभाता है। ऐसे पेड़ को काटना न सिर्फ क़ानूनन ग़लत है, बल्कि यह मानवता और प्रकृति के प्रति अपराध है।
⚖️ कानूनी कार्रवाई की माँग
स्थानीय नागरिकों और पर्यावरण प्रेमियों ने मांग की है कि इस मामले में जांच बैठाई जाए, ठेकेदार के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज की जाए, और ऐसी घटनाओं को दोहरने से रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं।