जसवंतनगर। बट सावित्री पूजा पर्व के अवसर पर क्षेत्र में विवाहित महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर बट वर्षों की पूजा अर्चना कर अपने-अपने पतियों की लंबी आयु की कामना की। सुबह से ही महिलाएं स्नान के पश्चात पारंपरिक परिधानों एवं फल फूल एवं पूजन सामग्री के साथ सज धज कर बट वृक्षों के आसपास एकत्रित होते देखी गई।
वर अमावस्या का दिन होने के कारण महिलाओं ने वट वृक्ष की सात परिक्रमा की। उन्होंने वृक्ष पर कलावा बांधा और रक्षा कवच तैयार किया। मान्यताओं के अनुसार वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। इसलिए इसकी पूजा का विशेष महत्व माना जाता है।पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और बुद्धिमत्ता से मृत पति सत्यवान को यमराज से वापस पाया था। उसी की याद में यह व्रत किया जाता है। यह व्रत प्रेम, निष्ठा और समर्पण का प्रतीक है।

ब्लॉक परिसर में स्थित वटवृक्ष, तहसील परिसर में स्थित वटवृक्ष सहित नगर व क्षेत्र में स्थित बट वृक्षों के आसपास बट सावित्री पूजा कार्यक्रम में नीलम, हेमा, सोनी, पूजा, तनुजा, शोभा, वंदना, पुष्पा, संगीता, मानसी सहित कई सुहागिन महिलाओं ने उपस्थित होकर फल फूल चढ़ाकर , दीप जलाकर पूजा अर्चना की एवं अपने अखंड सुहाग की कामना की।
रिपोर्ट सुबोध पाठक जसवंतनगर
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